जहाँ तक शादी, तलाक, अभिभावकत्व, गोद लेने जैसे निजी मामलों की बात है तो उन्हें संबंधित धार्मिक समुदाय से संबद्ध आर्थिक संस्थाएँ निपटाती हैं।
2.
जिस तरह संगीत, दृश्य कलाएँ, पाक (भोजन) रुचियाँ, आर्थिक संस्थाएँ या सजावट आदि हमारे संज्ञानात्मक क्षमताओं का इस्तेमाल करते हैं, उसी तरह धार्मिक संस्थाएँ भी इनका फायदा उठाती हैं।
3.
जनमानस में इसका प्रभाव तेजी से हुआ तथा हसरतों की बारातें सजने लगीं तथा बैंक और विभिन्न आर्थिक संस्थाएँ इसका पूरा लाभ उठाते हुए हर वर्ग और हर समुदाय के लिए विभिन्न उत्पादों को प्रस्तुत करने लगे।
4.
विश्व-स्तर की आर्थिक संस्थाएँ आई. एम. एफ., वर्ल्ड बैंक और डब्ल्यु. टी. ओ. इनके मुखौटे हैं जिसे पहनकर ये साम्राज्यवादी राष्ट्र आर्थिक उदारवाद के नाम पर तीसरी दुनिया के देशों पर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की शर्तें लादते हैं और उनका शोषण करते हैं ।